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25+ Shri Krishna Motivational Quotes श्रीमद्भगवद् गीता प्रेरणादायी विचार

भगवान Shri Krishna Motivational Quotes श्रीमद्भगवत गीता सार अथवा गीतामे अर्जुणके कहल गेल महत्वपूर्ण सबके मैथिली अनुवाद प्रस्तुत अछि। shree krishna quotes in Hindi मे बहुत पढिलियै आब अपन मातृभाषा मैथिलीमे स्पष्ट रूपसँ Shree krishna Quotes in Maihili सेहो Geeta in Maithili, Geeta Translation By Devendra Mishra

Shree Krishna Quotes About Dharma

Shri Krishna Motivational Quotes To Arjun

१.

हे पार्थ ! प्राप्त करू नइँ भाव नपुंसक , उचित ई किन्नहुँ नहि
त्यागि हृदय-दुर्वलताकेँ ई, युद्ध करू बनू खिन्नहुँ नहि।

२.

वाल्यावस्था,युवा आ वृद्धावस्था, जीव धरै छै जहिना ।
तहिना जीव शरीरो बदलै, धीर पुरूष नइँ मोहित कहुना।


३.

नाश रहित ओकरा जानह, व्याप्त जे सगरो छै नित सब ठाँ ।
अविनाशी आत्माकेँ मारए, क्यो कहियो सम्भव छै कहाँ ?


४.

आत्म-तत्व ई ककरो मारए, अथवा मरि जाए जे जानए ।
दुनू अज्ञानी , कारण ई जे आत्मा मरए आ ने मारए।


Shri Krishna Motivational Quotes

५.

छी अहाँ क्षत्रिय , धर्मयुद्धसँ , बढ़ि क’ किछु नइँ अछि मङ्गलमय ।
धर्म अपन, तैँ बुझि क’ एहि ठाँ, युद्धरत हाेउ भ’ क’ निर्भय।


Lao Tzu – Tao Te Ching Life Changing Quotes

६.

बिना प्रयासेँ युद्ध प्राप्त होए, स्वर्गक द्वार कहै छै ओकरा ।
पार्थ । ओ क्षत्रिय भागवन्त अछि, धर्मयुद्धके अवसवर जकरा ।।
पाबि एहन ई शुभ अवसर जँ , धर्मयुद्ध लेल तत्पर नइँ छह,
धर्म अपन आ कीर्तिक त्यागसँ,पापक प्राप्ति अवश्ये हाेइतह ।



७. पुष्पित वाणी खींचि लैत आ,चेतन शक्तिकेँ बान्हि लैत छै।
भाेगमे लपटाएल ओहि मनुखके , बुद्धि ने स्थिर कहियो होइ छै।


८. मन उद्धिग्न नइँ दुखक प्राप्तिसँ, सुखक प्राप्ति पर लालस हाेइ नइँ
ओ मुनि स्थिर बुद्धि जिनक मन,राग, डर आ तामस छै नइँ ।


९. जइ रातिमे सुतए सब क्यो , संयमशील तँ जागए तइमे।
सबहक लेल जे दिन कहाबए, तत्वक वेत्ता सुतए ओइमे।


१०. हठपूर्वक इन्द्रियकेँ रोकए,मनसँ चिन्तन करए विषयके
मूढ़बुद्धि मानव छी ओसभ, मिथ्याचारी दम्भी कहबैसे


११. करबा जाेगर कर्मकेँ छोड़ि क’,आनके कर्म तँ दै छै बन्धन
त्यागि क’ तैँ करैत जाह सब अपन कर्म, हे कुन्तीनन्दन ।


Shri Krishna About Soul

 

१२. अपने भीतर करिते विचरण, तृप्तो होइ जे अपने “स्वं” मे
होइ स्वंयमे सन्तुष्टो ओ , कर्तव्यो नइँ किछुयो जगमे

१३. श्रेष्ठ व्यक्ति जे करथि आचरण,दोसर लेल से बनए उदाहरण।
ओसभ जे जे दथि प्रमाण से, अनुयायीसभ करए अनुसरण ।


१४. स्वधर्ममे मरण सेहो सर्वोत्तम अछि, मुदा पर धर्म अछि भयावह ।
“स्व धर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः ।।”


१५. धुवाँसँ झाँपल आगि रहए छै, गर्दासँ जेना झाँपल ऐना ।
गर्भाशयमे गर्भ नुकाएल, ज्ञान झपाएल कामसँ एहिना।


१६. हम छी अजन्मा, अविनाशी छी, सब प्राणीके हमही ईश्वर छी
अपन प्रकृतिकेँ वशमे क’ कए, मायासँ हम प्रकट होइत छी।


१७. जखन जखन होए धर्मक हानि, आ अधर्मके होइ छै प्रचलन
तखन तखन हम रूप धरै छी, आत्माके स्वंय सृजन हम।।

१८. संयम रूपी यज्ञमे इन्द्रिय, हवन करै छथि ओ केऔ केऔ
इन्द्रियसभमे विषयादिकेँ, करथि होम आओर केऔ केऔ


१९. ज्ञान ई जानि मोह ने हेतह, भाव नि:शेषेसँ, हे अर्जुन
जगत देखबह ताेँ अपनेमे, हमरोमे से होइतह दर्शन ।


२०. अज्ञानेसँ जन्मल संशय,ज्ञानक दबियासँ काटह ओ
समतारूप एहि कर्मयोगमे , स्थित भ क युद्ध करह तोँ ।

२१. आत्म-परायण पुरूषकेँ, अर्जुण, कर्म बान्हैत अछि नहिये कहियो

अर्पित क’ परमात्मामे सब, सशंय रहित विवेकी जे क्यो


२२. किछू नहि चाहथि, द्वेष ने कत्तहु, सएह तँ संयासी कहबै छथि

राग द्वेष आ द्वन्द्ध रहित भ , भव फन्दासँ ओएह छुटैए छथि


२३. फलकेँ त्यागैत ओ कर्मयोगी, ईश्वर-प्राप्ति आ शान्ति पाबथि।

जे पुरूष सकाम इच्छा-वश भ’ फलासक्त भ’ छथि बन्हाबथि।

२४. सबमे ज्ञानीक समदृष्ट्रि होए, ब्राहमण होए वा हो चण्डाल।

गाए होए वा ओ होए कुकुर , अथवा होए हाथी विशाल ।


Geeta Translation In Maithili 

२५. आत्मा छियै अपन मित्र ओ, तन,मन इन्द्रिय जीतल जकर

शुत्र परम छियै अपने स्वंयमे,नहि जीतल जँ ईसभ ओकर

भगवान कृष्णके प्रेरणादायी विचार कहब

२६. बहुत खएनिहार, किछू नइँ खएनिहार, योग नइँ हुनको भेटए अर्जुण।

 सुतए बहुत, अथवा जागले रहए छथि, हुनको सिद्ध नइँ होइ ई साधन।

२७. ईश्वरव प्राप्तिसँ नइँ अछि कोनो बड़का लाभ, जे ई मानै छथि।

 कतबो बड़का दुखसँ बिचलित, तखन नइँ कहियो होए छथि।


२८. सब प्राणीमे हमरा देखथि, हमरेमे सब प्राणीकेँ जे। 

हम नइँ दुर हुनकासँ होइ, नइँ हमरोसँ ओ दुर होइ । (6/30)


२९ . मन अछि चञ्चल, अर्जुन ! वश करबामे अछि अति दुषूकर। 

अभ्यास कʼ आ वैराग्यसँ, मुदा होइत अछि मन सहजे वश। (6/35)


३०. जड़ चेतन एहि दुनु प्रकृतिसँ, उत्पन्न होइ प्राणी सब जानह। 

जगतक उत्पति आ प्रलयोके हमहीटा छी कारण मानह। (7/06)

Shreemadbhagwad Geeta – Shree Krishna Quotes in Maithili

Shri Krishna Motivational Quotes

३१. जलमे रस, आकाशमे शब्द आ हमहीँ इजोत छी चन्द्र सूर्यमे। 

सब वेदोमे ॐ कार हमहीँ अर्जुन ! पौरष हमरे सबमे। (7/08)

Shri Krishna Motivational Quotes


३२. चारि प्रकारक भक्त हे अर्जुन, उत्तम कार्य छथि कएनिहार।

 आर्त, जिज्ञासु, अथार्थी ओ , ज्ञानी हमरा पुजनिहार।(7/16)


३३. विविध कामनासँ भ’ गेल अछि हरण ज्ञानके 

आदत वश भ’ विविध नियम स्थापित क’ के, अन्य देवताकेँ पूजए ओ। (7/20)

Shri Krishna Quotes on World

३४. हम परमात्मा अविनाशी छी, जानए नइँ क्यो हमर प्रभाव। 

अदना मानव हमरा मानए, जनम-मरण होइ हमर, से भाव । (7/24)


३५. बीति गेल अछि जे, आगा बीतत, एखनहिँ जे सब बीति रहल अछि। 

हम जानै छी सबटा अर्जुन, लोक हमरा जानिते नइँ अछि। (7/26)

Shreemadbhagwad Geeta – Shree Krishna Quotes in Maithili


३६. ब्रह्मलोक धरिमे हे अर्जुण ! जनम मरण तँ होइते रहै छै। 

हमर प्राप्ति होइते देरी, पुनर्जन्म, कौन्तेय ! नइँ होइ छै। (8/16)

३७. “अक्षर” नामसँ जानल जाइ जे, परमगति ओ भाव अव्यक्ते । 

परमधाम ओ हमर अछि, पाबि क’ क्यो फेर घुरि ने आबए। (8/21)


३८. जेना सब ठाममे बहितो वायु, महावायु आकाशेमे स्थित। 

तहिना सबटा प्राणी बुझह, रहए सतत हमरेमे स्थित। (9/06)


३९. सब प्राणीके हृदयमे स्थित हे अर्जुन ! आत्मा हमहीँ छी। 

सबटा प्राणीके आदि, मध्य आ अन्तो सेहो हमहीँ टा छी। (10/20)


भगवान कृष्णके प्रेरणादायी विचार कहब

४०. वृष्णवंशीमे वासुदेव हम, पाण्डवमे तोँ अर्जुन हमहीँ। 

मुनिलोकनिमे वेदव्यास आ कविमे शुक्राचार्य छी हमहीँ। ( 10/37)


४१. दिनमे उगैत हजारटा सूर्य द’ नइँ क’ सकै इजोत ओतबा। 

भ’ नइँ सकै कहियो समतुल ओ, परमात्माके तेज छै जतबा। (11/12)( संजय )

४२. हे अर्जुन ! एहि स्थूल देहकेँ ” क्षेत्र” नामसँ बुझल जाइ छै। 

एकरा जानए जे “क्षेत्रज्ञ” से ज्ञानी द्वारा कहल जाइ छै। (13/01)


Shri Krishna Motivational Quotes on World


४३. छै नइँ विभाग तइयो स्थित, सब प्राणीमे जेना ओ बाटल। 

सबहक उत्पति , संहारक ओ , जानए योग्य आ सबहक पालक। (13/16)

४४. धीयान लगा क’ अपन हृदयमे , देखथि परमात्माके क्यो ।

 ज्ञानयोग क्यो कर्मयोगसँ, दर्शन हुनकर करैत रहै छथि ओ (13/24)


४५. सबटा काज प्रकृतिएद्वारा, कएल जाए जे साधक देखए।

 ओएहटा देखैत अछि यथार्थमे आत्माकेँ जे अकर्ता जानए। (13/30)


भगवान कृष्णके प्रेरणादायी विचार कहब


४६. सत् , रज , तम हे अर्जुण ! प्रकृतिएसँ सब उत्पन्न होइ छै। 

इएह तीनू गुण अविनाशीकेँ , देहमे बान्हि क’ राखि लैत छै।(14/05)

४७. सदा द्वेषरत, पापाचारी, क्रुर – कर्मरत , छै जे नराधाम। 

बेर बेर ओकरा दैत रहै छी, कोखि आसुरिएटामे हम ।(16/19)

४८. काम-क्रोध-लोभ ई तीनू द्वार नरकके बझ^क चाही। 

आत्मा नाश करै छै ईसभ, एहि तीनूकेँ त्याग^क चाही। (16/21)


 Shreemad Bhagwad Geeta श्रीमद्गगवद् गीता मैथिली अनुवाद

४९. देहक धारण कएनिहारकेँ, कर्म-त्याग नइँ सम्भव नइँ होइत अछि।

 एहि दुआरे फलक इच्छा त्याग करए जे सएह त्यागी होइत अछि। (18/11)


५०. अति उत्तम दोसरके धर्मसँ, अपन धर्म गुणहीनो नीके।

 नियत कर्म जे अछि स्वाभाविक, तकरा क’ कए पाप नइँ होइ छै। (18/47)

५१. सब प्राणीके हृदयमे, अर्जुन ईश्वर नित्य बास करैत अछि। ( 18/61)


विशेष आभार :

श्रोत: – Shreemad Bhagwad Geeta श्रीमद्भगवद् गीता । ई सामाग्री श्रीमद्गगवद् गीता मैथिली अनुवाद (मिश्र,देवन्द्र) सँ प्रस्तुत कएल गेल अछि। प्राय: हुबहुँ देल नइँ अछि।

Source: Shreemad bagawad Geeta Maithili Translation from Devendra Mishra. ( Quotes In Maithili

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